डियर शाही लीची : दूरी भी जरूरी है

एक वक्त तुम पास थी फिर दूर हो गई तो मैं तुम्हारे पास आ गया फिर मैं दूर हुआ तो तुम मेरे पास आ गई लेकिन अब की बार तो तुम बहुत दूर जा रही हो जहां से तुम तो आओगी नहीं और मुझे आने की इजाजत होगा नहीं लेकिन पता है ये दूरी भी ना जरूरी है। अब चांद को ही देख लो ना दूर है तो कितना खूबसूरत दिख रहा है लेकिन अगर पास आ गया तो दाग दिख जाएगा।

दाग तो तुम्हारे चेहरों पर भी है लेकिन यहां बारह सौ किलोमीटर दूर से दिखेगा नही और अच्छा ही है ना क्योंकि मुझमें इतना हिम्मत कहां की तुम्हारे दाग को मैं सह सकूं। पता है तुम खुश हो और बस इसी बात से दिल को तसल्ली हो जाता है लेकिन सहसा ही कभी वो बातें याद आती है जो तुमने एनआईटी घाट पर कहा था कि "मैं तुम्हारे चेहरे का मुस्कान हूं" तो फिर सोंचकर मन दुखी हो जाता है की मैं तो अब हूं नही तो क्या मुस्कान अभी भी है ?अगर है तो वो दिखावा है या दिखावा नही है तो क्या वो दिखावा था 🥰

खैर जबसे तुमने वो खुशखबरी दिया है तब से ही उन लम्हों को याद कर जी रहा हूं जिसमे तुम ,मैं और हमारा प्यार था।पटना विमेंस कॉलेज की वो बेबाक लडकी और मैं उसी कॉलेज के यूनिवर्सिटी का छात्र नेता...कितना अद्भुत संगम था।

लिखूंगा वो सब लिखूंगा ।।

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